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Minimum Support Price

मूंग का भाव एमएसपी तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की कवायद शुरू

मूंग का भाव एमएसपी तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की कवायद शुरू

भोपाल। मूंग (Mung bean) के भाव को एमएसपी (MSP) या न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश की मंडियों में जल्दी ही मूंग के दामों में तेजी आ सकती है।

दूसरे राज्यों के कारोबारी ही मूंग की नीलामी में शामिल

मिली जानकारी के अनुसार 2021-22 सीजन में गोदाम से बिकने वाली मूंग की ई-नीलामी में राज्य सरकार, प्रदेश के मूंग कारोबारियों को अलग कर सकती है। इस बार दूसरे राज्यों के कारोबारी ही मूंग की नीलामी में शामिल होंगे। उन सभी कारोबारियों को जिला स्तर से शर्त माननी होगी, कि वो सभी कारोबारी मूंग खरीद के बराबर की एफडीआर अथवा बैंक गारंटी के कागजात प्रस्तुत करें।

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मान लिया कि किसी कारोबारी को एक करोड़ रुपए की मूंग खरीदनी है, तो उसे उतने ही रुपए की एफडीआर अथवा बैंक की गारंटी देनी होगी। इस प्रक्रिया के बाद जिला कलेक्टर या उनके अधिकृत अधिकारी के समक्ष इसका प्रमाण देंगे। मंडी अनुज्ञा पत्र भी प्रदेश से बाहर का प्राप्त करना आवश्यक होगा। सभी कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद ही कारोबारी मूंग की ई-नीलामी में शामिल हो सकेंगे। इस प्रक्रिया के पीछे सरकार चाहती है कि, मूंग रीसेल के लिए प्रदेश के बाजार में न आए, जिससे मंडियों में मूंग के दामों में बढ़ोतरी हो सके और मूंग के रेट को कुछ सहारा मिल सके। इससे मूंग को एमएसपी तक पहुंचाने की कवायद सफल हो सकती है।

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कारोबारियों के सामने आ सकती हैं मुश्किलें

सरकार के इस फैसले के बाद, मूंग की ई- नीलामी में शामिल होने वाले कारोबारियों के सामने काफी मुश्किलें आ सकती हैं। क्योंकि, इस फैसले के बाद कारोबारियों को मूंग खरीद के लिए बड़ी रकम लगानी होगी।

फैसले के बाद 200 रुपए बढ़े भाव

मूंग की ई-नीलामी में सरकार के इस फैसले के बाद, मूंग के भाव मे 200 रुपये तक कि बढ़ोतरी हुई है। इंदौर मंडी में अब 6300 रु की जगह 6650 रु प्रति क्विंटल और एवरेज में 5400 रु की जगह 6000 रु प्रति क्विंटल हो गए हैं
मध्य प्रदेेश में एमएसपी (MSP) पर 8 अगस्त से इन जिलों में शुरू होगी मूंग, उड़द की खरीद

मध्य प्रदेेश में एमएसपी (MSP) पर 8 अगस्त से इन जिलों में शुरू होगी मूंग, उड़द की खरीद

एमपी में मूंग-उड़द खरीद पंजीकरण पूर्ण

32 जिलों में 741 खरीद केन्द्र निर्धारित

मध्य प्रदेश में मिनिमम सपोर्ट प्राइज (Minimum Support Price/MSP/एमएसपी) अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य पर
मूंग (Mung bean) और उड़द की खरीद 8 अगस्त से शुरू होगी। इन उपजों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बीच एमपी के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीद प्रक्रिया संबंधी समीक्षा बैठक में अहम निर्देश दिए हैं। भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम के तहत, मध्य प्रदेश मेें ग्रीष्मकालीन फसल मूंग एवं उड़द की उपज खरीद संबंधी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। एमपी मेें समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द का उपार्जन 8 अगस्त से प्रारंभ होगा। मध्य प्रदेश में मूंग और उड़द की सरकारी मूल्य पर उपार्जन प्रक्रिया 30 सितम्बर तक जारी रहेगी। एमपी में ग्रीष्मकालीन मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय संबंधी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मध्य प्रदेश में मूंग को समर्थन मूंग पर बेचने हेतु किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस 18 जुलाई से शुरू हुई थी। इधर मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी के रजिस्ट्रेशन (Registration for purchase of moong in Madhya Pradesh) के बारे मेंं बीजेपी नेता शिवराज सरकार के देरी से फैसला लिए जाने पर किसानों में रोष भी है। हालांकि पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार 8 अगस्त से समर्थन मूल्य पर मूंग की क्रय प्रक्रिया शुरू करेगी।

किसान नहीं व्यापारी का भला!

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मूंग उपज के लिए देर से समर्थन मूल्य प्रदान करने के कारण किसान के बजाए इसका लाभ व्यापारियों को मिल सकता है। प्रदेश के तमाम जिलों से जुड़ी खबरों के मुताबिक व्यापारी मंडियों में 4200 से 5800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से किसानों से मूंग खरीद चुके हैं। समर्थन मूल्य की बाट जोह रहे मूंग की खेती करने वाले किसानों की राय में सरकार का फैसला देरी से आया है, वे पहले ही अपनी फसल व्यापारियों को औने पौने दाम पर हवाले कर चुके हैं।


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किसानों का कहना है कि, व्यापारियों ने उमदा किस्म की मूंग भी उम्मीद से कम दामों पर खरीदी। किसान मजदूर संघ ने जुलाई के महीने में समर्थन मूल्य पर मूंग उपज की खरीद प्रक्रिया शुरू करने के सरकार के निर्णय को दिमागी दिवालियापन करार दिया है। संघ के मुताबिक जो मूंग जून में खरीदी जानी थी उसके लिए देर से फैसला लेना किसान हितैषी नहीं कहा जा सकता। एमपी में मई के आखिरी और जून के पहले सप्ताह तक मूंग पककर तैयार हो जाती है। ऐसे में अब तक प्रदेश के अधिकांश कृषक मूंग की उपज बेच चुके हैं।

इतना लक्ष्य

जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में इस साल 2 लाख 25 हजार टन मूंग खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। अचरज वाली बात ये भी है कि, इस बार एमपी में मूंग की पैदावार 15 लाख टन से भी अधिक के आसपास बताई जा रही है।

इस दिन तक होगी खरीदी

ग्रीष्मकालीन उपज मूंग एवं उड़द संबंधी उपार्जन प्रक्रिया कार्य की मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा की। इस दौरान सीएम चौहान ने भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम के तहत समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन उपज मूंग एवं उड़द का एमपी में उपार्जन 8 अगस्त से 30 सितम्बर तक करने का निर्णय लिया। देर से निर्णय लेकर सीएम शिवराज ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। अव्वल तो ज्यादा उत्पादित मूंग की सरकार को समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करना पड़ेगी, दूसरे प्राइज़ गारंटी की पेशकश से सरकार की इमेज भी खतरे मेंं नहीं पड़ेगी। भ्रष्टाचार मुक्त उपार्जन प्रक्रिया के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए बैठक में अहम निर्देश दिए।

सीएम शिवराज की दो टूक

किसानों के नाम पर व्यापारी मूंग और उड़द ना बेच सकें इस बारे में खास सतर्कता बरतने के लिए भी सीएम ने समीक्षा बैठक में निर्देशित किया। उन्हेोने सिर्फ किसानों से ही मूंग और उड़द खरीदने के सख्त निर्देश दिए। लघु कृषकों को इन फसलों के लिए प्रक्रिया में प्राथमिकता देने के लिए सीएम ने निर्देश दिए।


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खरीदी केन्द्र निर्धारित

जानकारी के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग एवं उड़द की उपार्जन प्रक्रिया के लिए खरीद केंद्र निर्धारित कर दिए गए हैं। मध्य प्रदेश में 741 खरीदी केंद्रो के माध्यम से मूंग एवं उड़द की सरकारी तौर पर खरीद की जाएगी।

पंजीयन की स्थिति

मध्य प्रदेश के 32 जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की उपज बेचने के लिए 2 लाख 34 हजार 749 कृषकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। कुल 6 लाख एक हजार हेक्टेयर रकबे का योजना के तहत रजिस्ट्रेशन प्रदेश के किसानों ने कराया है। उड़द की बात करें तो कुल 10 जिलों में किसानों ने पंजीयन प्रक्रिया में सहभागिता की है। प्रदेश के कुल 7 हजार 329 कृषकों द्वारा उड़द फसल के लिए पंजीयन कराया गया है। इसमें 10 हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीकरण उपार्जन प्रक्रिया के तहत किया गया है। आपको बता दें, भारत सरकार की कृषि उपज मूल्य समर्थन योजना की आदर्श रूपरेखा के अनुसार रोजाना प्रति कृषक 25 क्विंटल उपज का उपार्जन किया जाना प्रस्तावित है।

इतना मिलेगा दाम

कृषि विपणन वर्ष 2022-23 में मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए (7,275 रु.) प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसी तरह उड़द उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 300 रूपए प्रति क्विंटल प्रदान किया जाएगा।


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मूंग खरीदने निर्धारित जिले

बालाघाट, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खण्डवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकला, भिण्ड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मण्डला, शिवपुरी और अशोकनगर जिलों को ग्रीष्मकालीन मूंग की सरकारी दर पर खरीदी के लिए चुना गया है।

इन 10 जिलों में होगी उड़द की खरीदी

जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मण्डला, उमरिया और सिवनी सहित कुल 10 जिलों में उड़द की खरीदी प्रक्रिया आयोजित होगी। मध्य प्रदेश में एमएसपी पर 8 अगस्त से शुरू होने वाली मूंग क्रय प्रक्रिया के लिए 7 हजार 275 रूपए (7,275 रु.) प्रति क्विंटल का भाव किसानों से खरीदने के लिए तय किया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 25 फरवरी तक करवा सकते हैं, रजिस्ट्रेशन मध्य प्रदेश के किसान

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 25 फरवरी तक करवा सकते हैं, रजिस्ट्रेशन मध्य प्रदेश के किसान

बहुत से राज्यों में रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए है। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार ने भी नोटिफिकेशन जारी करते हुए चना, मसूर और सरसों का उत्पादन करने वाले किसानों को इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा है। साथ ही, एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों द्वारा उगाए गए एक-एक दाने को समर्थन मूल्य पर खरीदेगा। जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम दिया जा सके।

किस जिले में कितनी होगी खरीद

कृषि मंत्री कमल पटेल ने यह भी बताया है, कि चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में की जाएगी। वही मसूर के लिए 37 जिलों और
सरसों की खरीद के लिए 39 जिलों में केंद्र बनाए गए हैं।

किसान कहां करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन

अगर आप भी मध्य प्रदेश के किसान हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़ी हुई इस स्कीम का फायदा उठाना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए किसान पंचायत कार्यालय या फिर जनपद पंचायत कार्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर सकती है। इसके अलावा सरकार की तरफ से तहसील कार्यालय में भी यह पंजीकरण करवाने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। अगर किसान ऑनलाइन या रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं, तो वह MP Kisan Mobile App पर जाकर बिना किसी शुल्क के ही अपना पंजीकरण कर सकते हैं।
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इसके अलावा मध्य प्रदेश ऑनलाइन कियोस्क, पब्लिक सर्विस सेंटर और बहुत से साइबर कैफे भी इस स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं।

क्या है रजिस्ट्रेशन की फीस

अगर आप सरकार की तरफ से स्थापित किए गए सेंटर पर रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। अथवा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, तो आपको किसी भी तरह का कोई शुल्क देने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप यह प्रक्रिया एमपी ऑनलाइन कियोस्क या फिर किसी साइबर कैफे की मदद से कर रहे हैं। तो आपको इसे भरने की जरूरत पड़ सकती है।
एमपी सरकार का बड़ा कदम, किसानों को होगा जमकर फायदा

एमपी सरकार का बड़ा कदम, किसानों को होगा जमकर फायदा

एमपी सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत सरकार से एमएसपी (MSP) पर गेहूं बेचने वाले किसानों को फायदा मिलगा. दरअसल एमपी सरकार ऐसे किसानों को सीधा भुगतान उनके बैंक अकाउंट में करेगी. इसमें किसी व्यापारी और बिचौलियों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. यह फायदा रजिस्टर्ड किसानों को मिलेगा, जो बिना किसी गड़बड़ी के वाजिब दाम पा सकेंगे. एमपी समेत गुजरात में नये गेहूं की आवक अब शुरू हो चुकी है. लेकिन अभी भी गेहूं की खरीद में तेजी नहीं आई है. एमपी में इस बार किसानों से सरकार करीब 2 हजार 125 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं की खरीद करने जा रही है. बात राज्य की करें तो तीन हजार से ज्यादा केन्द्रों पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक किसान न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर गेहूं बेचने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन किसान प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में करवा सकते हैं. इसके लिए 50 रुपये का शुक्ल के साथ किसान एमपी ऑनलाइन, कॉमन सर्विस सेंटर या फिर लोकसेवा केन्द्रों पर भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इसकी सुविधा खुद एमपी सरकार ने मुहैया करवाई हुई है.

इन बातों को ना करें नजरअंदाज

  • रजिस्ट्रेशन के वक्त किसान को अपने गेहूं की बुवाई के रकबा और गेहूं की खरीद के लिए चुने हुए केंद्र की पूरी जानकारी देनी जरूरी होगी.
  • जो भी किसान एमएसपी पर गेहूं बेचेंगे, उसका भुगतान उन्हें सीधा उनके बैंक अकाउंट में किया जाएगा.
  • सरकार के इस कदम से किसी बिचौलिये और व्यापारी की दखलंदाजी नहीं रहेगी.
  • किसानों को बिना किसी गड़बड़ी के सीधा गेहूं बिक्री का पैसा मिल सकेगा.
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3,480 खुले रजिस्ट्रेशन सेंटर

जानकारी के मुताबिक एमपी में किसनों के रजिस्ट्रेशन के लिए कुल 3,480 रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए हैं. जहां जो भी किसान न्यूनतम समर्थन दामों में गेहूं बेचना चाहते हैं, उन सबके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. हालांकि इससे पहले सरकार के गेहूं बेचने के अलग नियम थे. जिसमें किसानों को मोबाइल पर डेट मिलती थी और उसी के आधार ओर गेहूं बेचना जरूरी होता था. लेकिन नई व्यवस्था के बाद किसान किसी भी समय अपना गेहूं बेच सकते हैं. इस तरह से करवाएं रजिस्ट्रेशन कियोस्को, कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र या फिर किसी भी साइबर कैफे पर जाकर किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इसके अलाव किसान एक प्रार्थना पत्र देकर भी खुद रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद किसान के मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा. उसी ओटीपी के आधार पर किसानों की पहचान की जाएगी. इसके आलव अकिसनों का अपने बैक की सारी डिटेल्स भी देनी होगी, जिससे भुगतान उनके खाते पर करने में आसानी हो. अब यहां पर इस बात की भी जानकारी होनी जरूरी है कि, अगर गेहूं की बुवाई वाली जमीन किसी मृतक के नाम पर है, तो उस पर जो भी उत्तराधिकारी खेती कर रहा है, उसके नाम से रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. एमपी सरकार ने रजिस्ट्रेशन की आखिरी डेट 28 फरवरी निर्धारित की है.
नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

केंद्र ने कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी करने से साफ़ इंकार कर दिया है. वहीं किसानों के मुताबिक उपज के लिए दी जाने वाली कीमतें बढ़ी हुई लागतों की भरपाई नहीं कर पा रही हैं. इसके अलावा खराब क्वालिटी वाले बीज और कीट की वजह से फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन सब के बीच केंद्र सकरार का कहना है कि वह भारत में कपास के होने वाले उत्पादन और इसकी मांग के मुताबिक इसपर मिलने वाली एमएसपी में बढ़ोतरी के बारे में विचार करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी कपास की घरेलू कीमतें एमएसपी से भी कहीं ज्यादा है. कीमतों में कमी आने पर एमएसपी का परिचालन शुरू किया जा सकता है. केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस वक्त यह जरूरी नहीं है कि एमएसपी के दाम को निर्धारित करने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं. साल 2022 से 2023 में खरीफ के सीजन के लिए एक मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी करीब 6 हजार 80 रूपये है. लेकिन इस बीच ज्यादातर किसानों का कहना है कि उन्हें उपज के लिए एमएसपी से बेहद कम कीमत मिली. इसके अलावा बीज से लेकर कीटनाशक और उर्वरकों जैसी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए यह बिलकुल भी पर्याप्त नहीं है.

कुछ ऐसी है किसानों की मांग

कपास किसान की मानें तो करीब चार सालों से कपास की खेती में कुछ ख़ास आय नहीं हुई, जिस वजह से उन्होंने करीब 60 फीसद जमीन पर कपास की खेती की ही नहीं. लेकिन इस वक्त कपास की उपज से किसान को करीब 8 हजार रुपये से भी ज्यादा की कमाई प्रति क्विंटल के हिसाब से हुई. देखा जाए तो यह कमाई एमएसपी से भी ज्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 मार्च के महीने में किसानों को 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिले थे, लेकिन कपास का उत्पादन बेहद कम था. बता दें ज्यादा लागत की वजह से एमएसपी को करीब 10 हजार रुपये तक प्रति क्विंटल के हिसाब से होना चाहिए. ये भी पढ़ें: कपास की बढ़ती कीमतों पर भी किसान को क्यों नहीं मिल पा रहा लाभ

इन राज्यों में है कुछ ऐसा हाल

कपास की फसल की कटाई पंजाब में चुकी है. पंजाब के किसानों को प्रति क्विंटल के हिसाब से 8 हजार दो सौ रूपये दिया जा रहा है, वहीं एक एकड़ के लिए केवल तीन क्विंटल ही उत्पान हो रहा है, जहां पर परेशान किसानों ने मुआवजे की मांग की है. बात महराष्ट्र की करें तो, यहां पर 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को बिक्री मिल रही है. जानकारी के लिए बता दें की पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के हमले की वजह से कपास का उत्पादन काफी कम हो रहा है जिस वजह से किसानों कपास के उचित एमएसपी को निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसानों ने कपास के आयात पर भी रोक लगाने की मांग की है.
हरियाणा सरकार ने 14 फसलों पर MSP से खरीद शुरू की है

हरियाणा सरकार ने 14 फसलों पर MSP से खरीद शुरू की है

हरियाणा सरकार की तरफ से गेहूं एवं धान के साथ-साथ सरकार 367 मंडियों के जरिए मूंग, तिलहन, बाजरा और अन्य खाद्यान्नों की भी खरीद कर रही है। हरियाणा के अंदर वर्तमान मे मक्का, बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द, तिल, गेहूं, सरसों, जौ, चना और धान की खरीद एमएसपी पर की जा रही है। हरियाणा न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) पर 14 फसलें खरीदने वाला भारत का प्रथम राज्य बन चुका है। हरियाणा सरकार की तरफ से 14 खाद्यान्न फसलों को इस बार एमएसपी मूल्य पर खरीदा गया है। राज्य सरकार की तरफ से गेहूं एवं धान समेत सरकार 367 मंडियों के जरिए मूँग, तिलहन, बाजरा और बाकी खाद्यान्नों की भी खरीद कर रही है। वर्तमान में हरियाणा राज्य के अंदर मक्का, बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द और तिल की खरीद एमएसपी पर हो रही है। आपको जानकारी के लिए बतादें, कि अधिकांश राज्य गेहूं, धान, कपास एवं गन्ना जैसी कुछ लोकप्रिय फसलों को एमएसपी पर खरीदते हैं। परंतु, हरियाणा भारत का प्रथम ऐसा राज्य है, जिसने 14 फसलों को MSP के भाव पर खरीदा है।

फसल क्षतिग्रस्त होने पर मुआवजा मिलेगा

खट्टर सरकार द्वारा किसानों की चौपट हुई फसलों को लगाकर मुआवजा देने की बात भी कही थी, जो सीधे किसानों के खातों में पहुंचाई जाऐगी। राज्य सरकार ने अत्यधिक बारिश की वजह किसानों की क्षतिग्रस्त हुई फसलों के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार फसल नुकसान का आकलन कर रही है। इस आकलन के उपरांत सरकार किसानों की क्षतिग्रस्त हुई फसलों के लिए मुआवजे की धनराशि को उनके खाते में हस्तांतरित करेगी।

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हरियाणा सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर कर रही है

हरियाणा सरकार किसानों को आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर सक्षम बनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। इस दिशा में राज्य सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं का भी संचालन किया जा रहा है। इनमें कुछ प्रमुख योजनाओं में किसान क्रेडिट कार्ड योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस), किसान ट्रैक्टर योजना, किसान मित्र योजना, कृषि उड़ान योजना, पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना आदि शम्मिलित हैं। बतादें, कि इन योजनाओं के जरिए अनुदान से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार के लाभ मिल रहे हैं।

मेरी फसल-मेरा ब्योरा योजना से कृषकों को लाभ

राज्य सरकार की तरफ से इस योजना को 5 जुलाई 2019 में जारी किया गया था। इस योजना की मदद से कृषक अपनी फसल का पूरा ब्योरा इस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। वहीं, इसके साथ-साथ अपनी फसलों को लेकर होने वाली किसी भी तरह की बर्बादी आदि का विवरण भी इस पोर्टल में दे सकते हैं।
किसान भाई परमल किस्म की धान की ई-खरीद ना होने से निराश

किसान भाई परमल किस्म की धान की ई-खरीद ना होने से निराश

अनाज मंडियों में अन्य दूसरे प्रदेशों से परमल धान की किस्मों के आने की संभावना के कारण प्रशासन ने ई-खरीद पोर्टल के जरिए से परमल किस्मों की खरीद रोक दी है। इस वजह से जिन कृषकों का परमल धान अब भी खेतों में पड़ा हुआ है, वे काफी परेशान हैं। हरियाणा में करनाल जनपद की अनाज मंडियों में अन्य राज्यों से परमल धान की किस्मों के आने के अंदेशे की वजह से प्रशासन ने ई-खरीद पोर्टल के जरिए से परमल किस्मों की खरीद को रोक दिया है। इस कारण से जिन किसानों का परमल धान आज भी खेतों में पड़ा हुआ है, वे काफी कठिनाई में फंस गए हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, किसानों ने आरोप लगाया है, कि प्रशासन का यह कदम उनको निजी खरीदारों को औने-पौने भावों पर अपनी फसल विक्रय के लिए विवश कर सकता है। साथ ही, अधिकारियों ने यह दावा किया है, कि जनपद में कटाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। साथ ही, उनको यह आशंका है, कि जनपद की अनाज मंडियों में कुछ व्यापारी अन्य राज्यों से धान ला सकते हैं तथा एमएसपी पर विक्रय कर सकते हैं।साथ ही, किसानों की मांग है, कि धान की फसल खेतों में पड़ी है अथवा नहीं, इसकी जांच कर अधिकारी धान की खरीद शुरू करें। रिपोर्ट के मुताबिक, परमल धान (एमएसपी 2,203 रुपये प्रति क्विंटल) का पंजीकरण फिलहाल ई-खरीद की जगह ई-एनएएम पोर्टल पर किया जा रहा है। सरकारी एजेंसियों की जगह, उनका उत्पादन फिलहाल निजी खरीदारों द्वारा खरीदा जा रहा है।


 

परमल धान की 97 लाख क्विंटल आवक हुई है

करनाल जनपद में अब तक लगभग 97 लाख क्विंटल परमल धान की आवक हो चुकी है। वहीं, विगत वर्ष आवक लगभग 107 लाख क्विंटल थी। जरीफाबाद के पुनीत गोयल ने बताया कि, “बाढ़ के बाद, मैंने नौ एकड़ में परमल किस्म के धान की खेती की थी। वर्तमान में फसल कटाई के दौरान मुझे पता चला कि खरीद बंद कर दी गयी है। सरकार को धरातल पर आकर देखना चाहिए और जो धान अभी भी खेतों में है, उसे खरीदना चाहिए।” एक अन्य किसान निरवेर सिंह ने कहा कि आठ एकड़ में परमल किस्म के धान की कटाई अभी बाकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी खरीदार एमएसपी से नीचे उत्पादन को खरीदेंगे।

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धान खरीद कम एमएसपी में होगी

खबर के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्यापारियों को राज्य के बाहर से धान लाने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। " हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी धान एमएसपी से नीचे न खरीदा जाए। इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं.” उन्होंने कहा, ''जिले भर के खेतों में शायद ही परमल की कोई फसल खड़ी है।" गौरतलब है, कि परमल धान की बिक्री करने के लिए वर्तमान में किसानों को पंजीकरण फिलहाल ई-खरीद पोर्टल की जगह ई-नाम पोर्टल पर करना पड़ रहा है। साथ ही, सरकारी एजेंसियों के बजाय, उपज अब निजी खरीदारों द्वारा खरीदी जा रही है।

किसानों के लिए योगी सरकार की एग्री स्टैक योजना क्या है  ?

किसानों के लिए योगी सरकार की एग्री स्टैक योजना क्या है ?

एग्री स्टैक योजना (Agri Stack Scheme) के अंतर्गत जनपद में 93 हजार खसरों में खड़ी फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाना है, जो कि 13 हजार खसरों का हो चुका है। इससे आपदा से क्षतिग्रस्त फसल का बीमा कंपनी अथवा सरकार द्वारा मुआवजा सुगमता से मिल सकेगा। डिजिटल सर्वेक्षण के जरिए ज्ञात हो सकेगा कि किसान ने अपने खेत में कौन-सी फसल की बिजाई की है।

इस सर्वे से यह पता चलता है, कि किसान ने अपने खेत में कौन सी फसल उगाई है। खेतों में उगाई जाने वाली फसलों के वास्तविक समय सर्वेक्षण के लिए एग्री स्टैक परियोजना के अंतर्गत डिजिटल क्राप सर्वे से रिकॉर्ड कृषि विभाग और शासन के पास ऑनलाइन सुरक्षित रहेगा।

सरकार योजना के अंतर्गत सर्वेक्षण करा रही है 

आपदा से क्षतिग्रस्त फसल का बीमा कंपनी या सरकार द्वारा मुआवजा सहजता से मिल पाऐगा। सरकार बिजाई से लगाकर उत्पादन तक का सटीक आंकलन करने के लिए यह एग्री स्टैक योजना के अंतर्गत सर्वे करा रही है।

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इससे पहले किस जनपद में कितने क्षेत्रफल में कौनसी फसल बोई गई है। कृषि व राजस्व विभाग के कर्मचारी इसे मैनुअल तरीके से सर्वें के आंकड़े शासन को मुहैय्या कराते थे, जिससे पूरी तरह ठीक नहीं होते थे।

फसलीय क्षति का सटीक आंकलन किया जाऐगा 

अब इस योजना के तहत कराए जा रहे डिजिटल क्राप सर्वे (Digital Crop Survey) से पता चल सकेगा किसान ने अपने खेत में कौन सी फसल बोई है। आपदा से बर्बाद फसल का सरकार और बीमा कंपनी फसल के नुकसान का सटीक आकलन कर आसानी से नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देगी।

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पहले प्रदेश के किस जिले के कौन से खेत के किस रकबे में कितनी फसल बोई गई है। इसका रिकॉर्ड कृषि और राजस्व विभाग के कर्मचारी कागजों में दर्ज करते हुए सरकार को आंकड़े उपलब्ध कराते थे, जो पूरी तरह सही नहीं होते थे। अब सटीक आंकड़े जुटाने के लिए अत्याधुनिक तरीके से डिजिटल क्राप सर्वे किया जा रहा है।

खुशखबरी : किसानों की भंडारित उपज पर अब मिलेगा ऋण, किसान कम कीमत पर नहीं बेचेंगे फसल

खुशखबरी : किसानों की भंडारित उपज पर अब मिलेगा ऋण, किसान कम कीमत पर नहीं बेचेंगे फसल

भारतीय किसानों को मोदी सरकार ने एक और बड़ा तोहफा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले-पहले केंद्र सरकार की तरफ से कृषकों के लिए एक नवीन योजना जारी करने की घोषणा की है। 

योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को अब गोदाम में भंडारित अनाज पर भी कर्ज मिलेगा। ये ऋण वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा प्रदान किया जाएगा। 

किसानों को केवल रजिस्टिर्ड गोदामों में अपने उत्पाद रखने होंगे, जिसके आधार पर उन्हें ऋण दिया जाएगा। यह लोन 7% प्रतिशत की ब्याज दर पर बिना किसी चीज को गिरवी रखे मिलेगा। 

सोमवार (4 मार्च, 2024) को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, पीयूष गोयल ने दिल्ली में डब्ल्यूडीआरए के ई-किसान उपज निधि (डिजिटल गेटवे) की शुरुआत करने के अवसर पर ये जानकारी प्रदान की।

पीयूष गोयल ने कहा कि इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कृषकों को बैंक के साथ संबंध बनाने का विकल्प भी दिया जाएगा। फिलहाल, डब्ल्यूडीआरए के पास देश भर में तकरीबन 5,500 रजिस्टर्ड गोदाम हैं। गोयल ने बताया कि भंडारण के लिए अब सुरक्षा जमा शुल्क कम हो जाएगा। 

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इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी पैदावार का 3% प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि देनी पड़ती थी। वर्तमान में सिर्फ 1 प्रतिशत सुरक्षा जमा धनराशि देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए गोदामों का इस्तेमाल करने और उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

किसान अपनी उपज कम भाव पर बेचने के लिए नहीं होंगे मजबूर  

गोयल ने कहा कि ई-किसान उपज निधि किसानों को संकट के वक्त में उनके उत्पाद को कम मूल्य पर बेचने से बचाएगी। ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी से किसान भाइयों को उनकी उपज की भंडारण की सुविधा मिलेगी। 

किसानों को उनके उत्पादों के लिए समुचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 

गोयल ने कहा कि हमारे प्रयास में डिजिटल गेटवे पहल खेती को आकर्षक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषक भाई बगैर किसी संपत्ति को गिरवी रखे ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज बिक्री को रोक सकती है। 

अधिकांश तौर पर किसानों को अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है। क्योंकि, उन्हें फसल के पश्चात भंडारण की शानदार रखरखाव सुविधाएं नहीं मिलती हैं। गोयल ने कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है।

इनकी स्थिति काफी शानदार है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी स्थिति में रखते हैं तथा खराब नहीं होने देते और इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। 

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गोयल ने इस बात पर काफी जोर दिया है, कि 'ई-किसान उपज निधि' और ई-नाम के साथ किसान एक इंटरकनेक्टिड मार्केट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। 

जो कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा की कीमत पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का लाभ प्रदान करती है। 

एमएसपी पर सरकारी खरीद दोगुना से ज्यादा बढ़ी है 

गोयल ने कहा कि पिछले एक दशक में एमएसपी के माध्यम से सरकारी खरीद 2.5 गुना तक ज्यादा बढ़ी है। दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के विषय में बोलते हुए मंत्री ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त गोदामों का फ्री रजिस्ट्रेशन करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को मदद देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उन्हें अपनी फसल बेचने पर काफी अच्छा भाव मिल सकेगा।